Kanchan Mrig Bankar Aaya || कंचन मृग बनकर आया लिरिक्स
यह भजन राम जी के वनवास के समय का है जब प्रभु श्रीराम,लक्ष्मण और माता सीता चौदह वर्ष के लिए वन में गए थे।रावण ने मारीच को माता सीता के अपहरण के लिए भेजा था।मारीच सोने का मृग बनकर गया था।
कंचन मृग बनकर आया
कंचन मृग बनकर आया सिय का अपहरण कराने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
सीता बोलीं वो देखें स्वामी है मृग कंचन का
लायें चर्म निशान रहेगा चौदह बरस गमन का
सिय माया की माया का मृग
सिय माया की माया का मृग लगे राम मुसकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया सोना है इसके आगें यह जगत खिलौना
कितने लोगों को जीवन भर सोने दिया न सोना
राम चले सोने के पीछे हम सब को समझाने
मायापति को भी वन में इतना दौड़ाई माया
इसी लिए जीवन में कही पड़े न माया की कही छाया
रही नचा रहा जो जग को उसे माया चली नचाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने
माया का मारीच चला मायापति को भटकाने

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